
.gmedianews24.com/कोच्चि, 24 अक्टूबर। केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि मंदिरों में पुजारी की नियुक्ति जाति या वंश के आधार पर नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा कि यह नियुक्ति किसी आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है, बल्कि इसे योग्यता और प्रशिक्षण के आधार पर तय किया जाना चाहिए।
जस्टिस राजा विजयाराघवन वी और जस्टिस के.वी. जयकुमार की बेंच ने कहा कि पुजारी की नियुक्ति एक धार्मिक नहीं, बल्कि ट्रस्ट या सिविल प्राधिकारी द्वारा किया जाने वाला प्रशासनिक कार्य है। किसी जाति विशेष को इसका अधिकार देना संविधान के सिद्धांतों के विपरीत है।
यह टिप्पणी अदालत ने अखिल केरल थंथ्री समाजम की याचिका पर की, जिसमें पारंपरिक ब्राह्मण परिवारों ने थांत्र विद्या पीठों से प्रशिक्षित उम्मीदवारों की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि कोई भी परंपरा जो मानवाधिकार और सामाजिक समानता के खिलाफ हो, उसे न्यायालय मान्यता नहीं देगा।







