
gmedianews24.com/नई दिल्ली। हिंदू पंचांग में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह वह समय होता है जब लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य करते हैं। मान्यता है कि इस दौरान पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से तर्पण और श्रद्धा की अपेक्षा रखते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर 2025 तक चलेगा।
यह 16 दिन केवल कर्मकांड तक सीमित नहीं होते, बल्कि परिवार, परंपरा और पूर्वजों के प्रति सम्मान जताने का अवसर भी होते हैं। मान्यता है कि इस दौरान किए गए पुण्य कार्यों से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पितृ पक्ष में क्या करें?
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जिस तिथि को पूर्वज का निधन हुआ हो, उसी दिन उनका श्राद्ध करें।
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श्राद्ध में पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज कराना आवश्यक माना जाता है।
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तर्पण में काले तिल, जौ और जल से अर्घ्य देना उत्तम है।
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श्राद्ध वाले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं। ब्राह्मण न मिलने पर जरूरतमंद, गौ माता या गरीब को भोजन कराना भी शुभ है।
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पितृ पक्ष में अन्न, वस्त्र, जूते, छाता और अन्य वस्तुओं का दान विशेष फलदायी होता है।
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घर में सात्विक और शांत माहौल बनाए रखें, पूजा-पाठ और स्वच्छता पर ध्यान दें।
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परिवार के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें और पूर्वजों को स्मरण करें। इससे घर में एकता और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में श्रद्धा और सच्चे मन से किए गए कर्मकांड पूर्वजों को संतुष्ट करते हैं और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।