
gmedianews24.com/नई दिल्ली, 10 जुलाई 2025। कांग्रेस सांसद और लेखक शशि थरूर ने इमरजेंसी को लेकर एक बार फिर बहस को तेज कर दिया है। मलयालम भाषा के अखबार दीपिका में गुरुवार को प्रकाशित एक लेख में थरूर ने कहा कि इमरजेंसी को सिर्फ भारतीय लोकतंत्र के काले अध्याय के रूप में याद ही न किया जाए, बल्कि उससे जरूरी सबक भी लिए जाएं।
थरूर ने लिखा कि अनुशासन और व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर लिए गए फैसले कई बार ऐसी क्रूरता में बदल जाते हैं, जिन्हें किसी भी दृष्टिकोण से न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने इमरजेंसी के दौरान चलाए गए नसबंदी अभियान को ‘मनमाना और निर्मम’ फैसला बताया।
गौरतलब है कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था, जो 21 मार्च 1977 तक जारी रहा। इस दौरान विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, सेंसरशिप और नागरिक स्वतंत्रता पर व्यापक अंकुश लगाया गया।