
gmedianews24.com/आगरा : आगरा धर्मांतरण मामले में पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है. देहरादून से एक युवती को बरामद किया गया है, जिसने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. युवती ने बताया कि अबू तालिब नामक व्यक्ति ने फेसबुक के माध्यम से उससे संपर्क किया और धीरे-धीरे उसे अपने प्रेमजाल में फंसा लिया. अबू तालिब ने युवती के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाया और उसे इस्लाम धर्म की जानकारी देने लगा. अबू तालिब ने युवती को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया और उसे आयशा नाम की महिला से मिलवाया. आयशा ने युवती की मुलाकात अब्दुल रहमान नामक व्यक्ति से कराई, जो कथित तौर पर धर्मांतरण गिरोह का सदस्य है.
फेसबुक से शुरू हुआ धर्मांतरण का ‘खेल’
पीड़िता ने बताया कि अबू तालिब ने 2019 से मुझसे फेसबुक पर संपर्क शुरू किया. वह इस्लाम की बातें करता था, जिससे मैंने धर्म के बारे में जानकारी ली. धीरे-धीरे उसने मुझे शादी के लिए दबाव डाला. उसने मुझे अपनी बहनों सुमैया और सफिया से मिलवाया, फिर आयशा और अब्दुल रहमान से संपर्क कराया. आयशा ने मेरे घर की स्थिति जानकर मुझे बेहतर रहने की जगह और सुविधाओं का लालच दिया. उसने कहा कि इसके लिए मुझे नया नाम स्वीकार करना होगा और किसी की दूसरी, तीसरी या चौथी पत्नी बनना होगा, तभी मुझ पर ‘निवेश’ किया जाएगा.
युवती ने आगे बताया कि उसे कई लोगों के संपर्क दिए गए, जिनमें अयान जावेद, अब्दुल रहमान उर्फ रूपेंद्र प्रताप, और दिल्ली के एक अन्य अब्दुल रहमान शामिल थे. इन लोगों ने कहा कि यदि वह दूसरी या तीसरी पत्नी बनने को तैयार हो और इस्लाम की प्रथाओं का पालन करे, तभी उसकी मदद की जाएगी. अयान ने उसे झारखंड से चौक तक खुद पहुंचने और वहां से कैब के जरिए देहरादून, फिर दिल्ली और अंत में एक ‘सुरक्षित जगह’ ले जाने की योजना बताई.
‘तीसरी या चौथी शादी करनी होगी..’
जब युवती ने इसका विरोध किया, तो अब्दुल रहमान उर्फ रूपेंद्र प्रताप ने कहा कि उसे तीसरी या चौथी शादी करनी होगी, वरना मदद नहीं मिलेगी. युवती ने बताया, “उन्होंने मुझे फोन और सिम तोड़ने के लिए मजबूर किया. आयशा के पास कई संपर्क थे, जो सेकंड-हैंड या कीपैड फोन और महंगी फर्जी सिम (4,000-5,000 रुपये की) खरीदते थे. मुझे भी फोन तोड़ने और उसे पानी में डुबोकर नष्ट करने की विधि सिखाई गई. मैंने ये सब किया, लेकिन मैं बाहर नहीं निकली, इसलिए उन्होंने मेरी मदद नहीं की.”
युवती ने यह भी खुलासा किया कि अब्दुल रहमान (दिल्ली) ने उसे एक महीने तक अकेले रहने और फिर फोन व सिम तोड़कर दिल्ली आने को कहा. ऐसा न करने पर मदद देने से इनकार कर दिया. बाद में उसे बताया गया कि उसके लिए जमा किए गए पैसे किसी अन्य लड़की पर खर्च हो गए, जिसे ‘रेस्क्यू’ कर लिया गया.
युवती ने बताया कि एक अन्य व्यक्ति, जो आयशा का फंड मैनेजर था, ने उससे अपनी कहानी लिखकर भेजने को कहा ताकि वह सोशल मीडिया पर स्टेटस डालकर फंड जुटा सके. उसने अन्य लड़कियों की पहचान छिपाकर भी फंड जुटाने की बात कही. अबू तालिब, अब्दुल रहमान उर्फ रूपेंद्र, और दिल्ली के अब्दुल रहमान ने युवती को कलमा पढ़ने और इस्लामिक धर्मांतरण के लिए मजबूर किया. अब्दुल रहमान उर्फ रूपेंद्र ने उसे इस्लामिक नामों की सूची भेजी, जिसमें उसका नाम मरियम रखा गया. दिल्ली के अब्दुल रहमान ने उससे वॉइस नोट मांगा, जिसमें उसे कहना था, “मुझे हिजरत करनी है, मैं रिवर्टेड मुस्लिमा हूं,” ताकि धनी लोगों से फंड जुटाया जा सके.